Banaras

Nagarvadhu Dance at Manikarnika Ghat :- वाराणसी मणिकर्णिका घाट पर क्यों नृत्य करती हैं नगरवधू?

Nagarvadhu Dance at Manikarnika Ghat :- वाराणसी, जिसे काशी और बनारस भी कहा जाता है, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन नगर है। हिन्दू धर्म में यह एक अतयन्त महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, और बौद्ध व जैन धर्मों का भी एक तीर्थ है। हिन्दू मान्यता में इसे “अविमुक्त क्षेत्र” कहा जाता है। वाराणसी संसार के प्राचीन बसे शहरों में से एक है।

काशी के मणिकर्णिका घाट के सामने क्यों नाचती है नगर की वैश्याएं (Sexworker)। प्रिय पाठकों आज हम बनारस के एक ऐसे अनोखे रहस्य के बारे में बताएंगे इसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। नगर वधुओ का चिताओं के सामने नाचना एक महोत्सव है जो की हर साल काशी में होता है और ऐसा कहा जाता है की देवों के देव देव आदि महादेव इस महोत्सव में आधृस रूप में सामिल होते है और यह हर साल आयोजित किया जाता है। ऐसा कहा जाता है की इस महोत्सव के दिन जिनलोगो का भी अंतिम संस्कार किया जाता है वो आत्मा जीवन और मरण के कुचक्र से मुक्ति पाकर मोक्ष की प्राप्ति कर लेती है। ऐसा इसलिए होता है क्युकी समसान के राजा महाकाल मृत शरीर के कानो में कुछ कहते है। इस अद्भुत रहस्य को पूरा जानने के लिए इस पेज को पूरा पढ़े और यदि अच्छा लगे तो अपने मित्रो को भी शेयर करें।

वाराणसी मणिकर्णिका घाट पर क्यों नृत्य करती हैं नगरवधू? इसके पीछे की कहानी

मणिकर्णिका घाट सभी घाटों में सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण है तथा यह एक मुक्तिधाम है। यह बात उसे समय की है जब माता सती ने अग्निकुंड में कूद कर अपने शरीर को त्याग दिया था। माता सती के ऐसा करने का कारण उनके पिता दक्ष थे जो कि ब्रह्मा जी के पुत्र थे। उन्होंने यज्ञ के दौरान भगवान शिव को अपमानित किया था। भगवान शिव माता सती के जलते शरीर को लेकर हिमालय चले गए और वहां विलाप करने लगे। भगवान विष्णु जी ने देखा कि भगवान शिव का दुख दिन प्रतिदिन और भी बढ़ता जा रहा है। तो फिर भगवान विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र भेजो और माता सती के जलते हुए शरीर को 51 टुकड़ों में दिया। जो धरती पर आ गिरे जिन्हे 51 शक्तिपीठ बोला जाता है।

माता सती के शरीर के टुकड़े जहां-जहां गिरे भगवान शिव ने वहां वहां शक्तिपीठों की स्थापना की। मणिकर्णिका जी के घाट पर माता सती के कणों का कुंडल गिरा था।

यही काशी में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर है। यह मंदिर अपने चमत्कारों और रहस्य के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। 

इसी शमशान घाट में होता है महाश्मशान महोत्सव। बात है चैत्र नवरात्रि की सप्तमी की जब नृतिकियो के पाव के गुंगरू रातभर थिरकते है। एक और जहां श्मशान में अमृत शरीर जल रहे थे और उनके प्रियजन उनके दुख में विलाप कर रहे थे तो वहीं दूसरी ओर इन वेश्याओं के पांव रुकने के नाम नहीं ले रहे थे। एक तरफ चीता की अग्नि की लपटे तो वहीं दूसरी ओर ढोलक की धाम। घुंघरू की झंकार मौत के स्थान पर भी उत्सव मना रही थी। यह सब हो रहा था चली आ रही परंपरा के कारण।

आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा की आखिर क्यों होता है ये नृत्य?

कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में राजा मानसिंह जो की आमेर के राजा थे। अकबर के नव रत्नों में से एक थे। उन्होंने ने ही भगवान शिव के मंदिर का पुनः निर्माण करवाया और इस अवसर पर वह नाच गाने का भी आयोजन करना चाहते थे। परंतु कोई भी कलाकार उसे समय उसे स्थान पर आने का हिम्मत नहीं कर सका। तब फिर उसे समय वहां पर वेश्याओं को बुलाया गया और उन्होंने बची चक होकर बिना डरे वहां पर ठुमके लगाए और तब से यह परंपरा बन गई। यहां पर यह परंपरा इतनी मशहूर हो गई कि मुंबई से आकर सेक्सवर्कर यह डांस करती है।

यह के मान्यता बन गई है कि जो भी वैश्या यहां आकर नृत्य करेगी उसका अगला जन्म फिर से वैश्या के रूप में नहीं होगा। यहा आकार नृत्य करना सेक्सवर्कर अपना सौभाग्य समझती है।

वैश्या होना एक अभिशाप है और यह जरूर ही उन वेश्याओं के पिछले जन्म के पापों का ही परिणाम होगा परंतु कोई भी स्त्री कभी भी अपनी मर्जी से वैश्या नहीं बनती। लेकिन हर वैश्या इस जाल से निकलना चाहती है। इसी विश्वास के साथ और महादेव पर रख विश्वास पर ही वह यहां पर नृत्य करती है और अपने साधन और भक्ति को प्रकट करती हैं।

इस महोत्सव के दिन का सबसे बड़ा रहस्य है कि यहां पर स्वयं महादेव आते हैं और वह पूरे महोत्सव के समय तक एक अदृश्य रूप में रहते हैं। इस दिन मरने वाले अमित शरीरों के कानों में महादेव तारक मंत्र का जाप करते हैं जिसे सुनने के बाद वह व्यक्ति स्वयं महादेव के लोक में जाता है।

वाराणसी मणिकर्णिका घाट पर क्यों नृत्य करती हैं नगरवधू? इसके पीछे की कहानी को जानकर आपको आश्चर्य ज़रूर हुआ होगा लेकिन ये काशी का एक ऐसा सत्य है जिससे अभी भी लाखों लोग अनजान हैं। आपकों यह ब्लॉग पोस्ट कैसा लगा।

ॐ नमः पार्वती पतये हर हर महादेव।।

लेखिका- कंचन वर्मा बनारसी

मणिकर्णिका घाट की कहानी तथा इसके रहस्य | The Story Of Manikarnika Ghat

10 Best Place To Visit In Varanasi:-बनारस आए हो तो इन जगहों पर घूमना मत भूलना, बनारस के 10+ प्रसिद्ध जगहों के नाम

असली Banarasi Silk Saree की पहचान कैसे करें? बनारसी साड़ी पहचाने के 5 टिप्स

999+ Top Banaras Shayari Quotes Status | बनारस शायरी स्टैट्स

Kashi Vishwanath Yatra Varanasi|काशी विश्वनाथ यात्रा वाराणसी 2024

Share
Kanchan Verma

Kanchan Verma is the Author & Founder of the https://frontbharat.com She is pursuing graduation from Banaras (UP) . She is passionate about Blogging & Digital Marketing.

Recent Posts

100+ Interesting GK Questions – ऐसा क्या है जो हमेशा आता है लेकिन पहुंचता कभी नहीं ?

Interesting GK Questions – ऐसा क्या है जो हमेशा आता है लेकिन पहुंचता कभी नहीं…

4 months ago

महादेव मेरी Mohabbat का ध्यान रखना

महादेव मेरी Mohabbat का ध्यान रखना क्योंकिउससे अपना ख्याल नहीं रखा जाता और मैं उससे…

8 months ago

Ghats of Banaras:- बनारस के 88 घाटों के नाम

Ghats of Banaras:- वाराणसी में घाट नदी के किनारे कदम हैं जो गंगा नदी के…

8 months ago

Culture and food of Banaras :- बनारस की संस्कृति और यहां का खान पान

Culture and food of Banaras:- वाराणसी, भारत की धार्मिक राजधानी जिसे "बनारस" या "बनारस" या…

8 months ago