Kashi Vishwanath Yatra:- जो भारत की शान बढ़ाएं, गंगा की पवित्रता झलकती है जहां पर और दिलों को छू लेने वाली प्रकृति है जहां पर वह है काशी। अनेक रहस्य से परिपूर्ण है जो वह है काशी। जिसकी गली-गली में संतों का फेरा होता है वह है काशी। यह उत्तर प्रदेश राज्य है।यहां पर सनातन धर्म के 33 कोटि देवी देवताओं का वास है।
मैं जीवन लिखूं तुम अस्सी घाट समझना😘
मैं मरण लिखूं तुम मणिकर्णिका समझना🥰
मैं सुकून लिखूं तुम गंगा घाट समझना❣️
मैं रात लिखूं तुम राजघाट समझना😇
मैं इश्क लिखूं तुम बनारस समझना😚
इश्क-ए-बनारस🥀
काशी का नाम काशी इसलिए है क्योंकि इसे शिवजी ने स्वयं अपने त्रिशूल पर धारण किया है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भी विश्व में कोई भी संकट आता है तो शिवजी काशी को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं तथा आपदा टल जाने के बाद इसे पुनः अपने स्थान पर स्थापित कर देते हैं। गंगा तट पर बसी काशी बड़ी पुरानी नगरी है। इस वाराणसी तथा बनारस के नाम से भी जाना जाता है।
यह विश्व का सबसे प्राचीन नगर है। वाराणसी का मूल नगर काशी था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना हिन्दू भगवान शिव ने लगभग 5000 वर्ष पूर्व की थी, जिस कारण ये आज एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है तथा पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता की काशी को शिव जी ने अपने त्रिशूल पर धारण किए हैं। ये हिन्दुओं की पवित्र सप्तपुरियों में से एक है। स्कन्द पुराण, रामायण एवं महाभारत सहित प्राचीनतम ऋग्वेद में नगर का उल्लेख है।
काशी नगरी विश्व की सबसे प्राचीन नगरी है। यहां पर बाबा विश्वनाथ का दरबार है। वैसे तो बनारस में पूरे साल भीड़ रहती है परंतु सावन में भक्तों की बहुत ही ज्यादा भीड़ यहां पर लगती है।आपको बता दें कि सावन से लेकर मार्च तक के महीने में वाराणसी घूमने का सबसे बेस्ट समय है क्योंकि मार्च के बाद बहुत ही गर्मी पड़ती है जिसकी वजह से घाटों पर अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण पर्यटक आराम से घूम नहीं पाएंगे और फिर उसके बाद ढाई महीने तक बरसात होती है जिसके कारण मां गंगा बढ़ जाती है और घाटों पर बाढ़ की स्थिति बन जाती है।
वाराणसी आप ट्रेन के जरिए आ सकते हैं वाराणसी में दो स्टेशन है एक वाराणसी जंक्शन तथा एक मडवाडी रेलवे स्टेशन। ट्रेन की टिकट का पैसा वह आपके शहर से वाराणसी शहर की दूरी पर निर्भर करता है। यदि आप स्टेशन पर पहुंच गए हो तो आप स्टेशन से डायरेक्ट ऑटो लेकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए गोदौलिया तक पहुंच सकते हैं। यदि आप वाराणसी शहर से नजदीक में रहते हैं तो आप अपने साधन से भी आ सकते हैं या फिर रोड मार्ग से भी वाराणसी पहुंच सकते हैं। इन सबके अलावा यहां पर एक हवाई अड्डा है जिसका नाम है लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा यह एयरपोर्ट बाबतपुर में है। यदि आप वायु मार्ग से आ रहे हो तो फिर आपको वहां से टैक्सी या बस लेकर वाराणसी मुख्य शहर आना होगा जो कि लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर है।
आपको बता दें कि जो गोदौलिया चौराहा है वह बनारस के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट तथा बाबा विश्वनाथ के दरबार से जोड़ती है तो आप गोदौलिया में ही होटल या रुम लेकर रुक सकते हो। यहां पर आपको होटल 600 से लेकर 1500 तक के मिल जायेंगे। आप अपने सुविधानसार यहां पर होटल ले सकते हैं। यदि आपका बच्चा रूम यह होटल लेने का नहीं है तो यहां पर धर्मशाला भी है और अनेक गेस्ट हाउस भी हैं जो 200 से 400 तक के आ जायेंगे आप वहां पर भी ठहर सकते हो। आप ऑनलाइन होटल बुक कर सकते हो इस लिंक से – http://shrikashivishwanath.org/
प्रिय पाठको यदि आप बनारस सुबह पहुंच रहे हो तो सबसे पहले आप बनारस की सुबह की सुंदरता को देखिए,इसके बाद आप घाटों पर पैदल ही घूमे ताकि आप यहां की संस्कृति से रूबरू हो सके और बनारस को अच्छी तरह से जान सके। बनारस के घाट काफी पास पास है जिसकी वजह से आप इस की पैदल यात्रा कर सकते हो। इसके बाद आप गंगा स्नान करें और फिर बाबा विश्वनाथ की दर्शन प्राप्त करें। आप यहां पर बोट से गंगाजी के उस पार भी जा सकते हो जहां पर रेत ही रेत है वहां पर आपको बोट मिलेंगे जिस पर बैठकर आप उठ की सवारी कर सकते हो यदि आप वोट से घाट घूमना चाहते हो तो आप को बोट वाले मणिकर्णिका घाट से लेकर हरिश्चंद्र घाट तक बोट द्वारा घुमा देंगे।
बाबा विश्वनाथ का दर्शन आप गोदौलिया चौराहे से आगे गोदौलिया मार्ग से ही एक गेट होता है वहां से भी आप डायरेक्ट विश्वनाथ जी का दर्शन प्राप्त कर सकते हो। यदि आप इस मार्ग से बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए जाते हो तो आपको अपना सारा सामान किसी भी दुकान में जमा करना होगा और वहां से आप प्रसाद या फूल लेकर आगे दर्शन करने के लिए जा सकते हो। बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए यहां पर कई सारे द्वार हैं पर मेरे ख्याल से आपको गंगाद्वार से ही जाना चाहिए जो की दशा सुमेर घाट से कुछ दूरी पर है इस द्वार से क्यों मैं आपको यह आगे बताती हूं।
मंगला आरती प्रतिदिन प्रातः 3:00 बजे से लेकर 4:00 बजे तक होता है। मंगला आरती देखने के लिए आप ऑनलाइन टिकट बुक कर सकते हो या फिर बाबा विश्वनाथ के मंदिर में ही वहां पर टिकट मिलता है वहां से लेकर भी मंगला आरती को देख सकते हो। यदि आप यहां पर रुद्राभिषेक या फिर किसी भी प्रकार का पूजा करवाना चाहते हो तो यहां पर करवा सकते हो रुद्राभिषेक करवाने का रेट सबका अलग अलग है।
बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के बाद आप अपने होटल या रूम पर जाएं। वहां थोड़ा फ्रेश होकर तो था रेस्ट करके आप वापस दशा सुमेर घाट पर आ जाइए। फिर आप वहां पर घाटों का नजारा देखिए तथा कुछ समय तक वहां पर घूमने फिरिए। बनारस की गंगा आरती कभी नहीं रुकती चा आंधी हो या फिर तूफान यहां की आरती हमेशा होती है। दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती सबसे प्रसिद्ध आरती है। यहां पर आरती लगभग 7:00 से ही स्टार्ट हो जाती है। यदि आप गंगा आरती को करीब से देखना चाहते हो तो आप जल्द ही घाट पर पहुंच जाए और वहां पर कुर्सियां लगी होती है जहां पर जाकर आप बैठ जाए। क्योंकि जैसे जैसे शाम होता है वैसे-वैसे गंगा आरती को देखने के लिए भक्तों की भीड़ बढ़ती जाती है। इसके बावजूद अस्सी घाट पर भी गंगा आरती होती है वहां पर भी जाकर आप माता गंगा की आरती को देख सकते हैं।
दर्शन करने के बाद या फिर जब आप अपने घर की ओर प्रस्थान कर रहे हो। तब ही गोदौलिया मार्केट में ऐसे बहुत सारे दुकान दिखेंगे जहां पर प्रसाद मिलता है तो आप गोदलिया मार्केट से ही प्रसाद ले ले। इसके अलावा विश्वनाथ गली में भी प्रसाद मिलता है तथा बाबा विश्वनाथ के मंदिर में भी प्रसाद मिलता है आप वहां से भी प्रसाद ले सकते हो।
ठाकुर से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है आपका जागरूक होना। यदि आप जागरूक नहीं हो तो आप बनारस में कदम कदम पर ठगे जाओगे। यहां पर आपको अनेक ऐसे लोग मिलेंगे जो आपसे कहेंगे कि यहां दान करो वहां दान करो। संतु आपको अपने समझदारी से काम लेना है तथा आवश्यकता अनुसार ही कार्य करें। यदि फिर भी आपके साथ कुछ गलत व्यवहार या कार्य होता है तो वहां पर हमेशा पुलिस सुविधा उपलब्ध रहती है तथा आसपास आपको पुलिस खड़े हुए भी दिखने नजर आएंगे तो आप उनसे भी मदद ले सकते हो।
यदि आप बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए किसी और द्वार से जा रहे हो तो आपको जूता चप्पल जमा करने के साथ-साथ अपना मोबाइल भी जमा करना होगा जिसके लिए आपको शुल्क देना होगा। यदि आप गंगाद्वार से बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए जा रहे हो तो आपके लिए यह बहुत ही बढ़िया है परंतु यदि आपके साथ कोई बुरा आदमी है तो आप इस द्वार से उन्हें ना ले जाए क्योंकि इस द्वार की सीढ़ियां बहुत ही ऊंची ऊंची भी हैं। पर यदि आप अकेले हो या फिर अपने खट्टे खट्टे फैमिली के साथ हो तो आप इस द्वार से अवश्य ही जाए।
गंगाद्वार पराग दशा सुमेर घाट से होते हुए आगे बढ़ी है और ललिता घाट पर आइए फिर आप गंगाद्वार से विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश लीजिए। अंदर विश्वनाथ मंदिर के कोरिडोर में ही निशुल्क जूता चप्पल जमा होता है और निशुल्क फोन भी जमा होता है।
अधिकतर कुछ बनारसियों को भी नहीं पता है कि आखिरकार विश्वनाथ मंदिर में फोटो कैसे लें परंतु हम आपको बताते हैं कि आप मोबाइल अंदर कैसे ले जाएं और वहां पर अपना एक सुंदर फोटो क्लिक कैसे करें। यह फोटो आपके लिए एक यादगार के रूप में होगा। जैसा कि मैंने आपको बताया कि आप गंगा द्वार से प्रवेश ले और वहीं पर विश्वनाथ कॉरिडोर में निशुल्क मोबाइल फोन जमा होता है। आप अपना मोबाइल दर्शन करने से पहले ही वहां पर जमा कर दें फिर दर्शन करने के बाद आप बाहर आए और अपना मोबाइल ले फिर विश्वनाथ कोरिडोर में से ही आप वहां पर अपनी सुंदर फोटो ले। आप फोटो केवल द्वार के बाहर ही ले सकते हो द्वार के अंदर फोन अनुमति नहीं है।
विश्वनाथ मंदिर में अनेक दुकान तथा होटल रेस्टोरेंट है जहां पर आप अपनी भूख को शांत कर सकते हो, इसके बावजूद यहां पर मां अन्नपूर्णा के मंदिर में फ्री भोजन मिलता है यह एक ट्रस्ट द्वारा कार्य करता है। गोदौलिया मार्केट में तो आपको अनेक दुकानें मिल जाएंगे भोजन करने के लिए परंतु यदि आपको बहुत ही तेज से भूख लगी है और आप गोदलिया मार्केट तक अपनी भूख को कंट्रोल नहीं कर सकते तो गंगा द्वार पर ही कई सारे रेस्टोरेंट वर्तमान समय में खुल चुके हैं जहां पर आप जाकर भोजन कर सकते हो।
दोस्तों काशी विश्वनाथ यात्रा (Kashi Vishwanath Yatra) पर लिखी गई ये पोस्ट आशा करते हैं आपकों अच्छी तरह समझ आ गया होगा अगर इसमें कोई त्रुटी रह गई हो तो हम frontbharat@gmail.com पर लिखें हम इसमें बदलाव करने के लिए तत्पर है, अगर आपकों Kashi Vishwanath Yatra अच्छी लगीं हो तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ एक बार बाबा काशी विश्वनाथ का दर्शन अवश्य करें।
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।।ॐ नमो: पार्वती पतये हर हर महादेव।।
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