Top Place In India

History of Kashi: काशी का इतिहास तथा आखिर काशी के तीन नाम क्यों?

History of Kashi:- जो भारत की शान बढ़ाएं, गंगा की पवित्रता झलकती है जहां पर और दिलों को छू लेने वाली प्रकृति है जहां पर वह है काशी। अनेक रहस्य से परिपूर्ण है जो वह है काशी। जिसकी गली-गली में संतों का फेरा होता है वह है काशी। यह उत्तर प्रदेश राज्य है।यहां पर सनातन धर्म के 33 कोटि देवी देवताओं का वास है। तो आइए हम आज काशी इतिहास( History Of Kashi) की संपूर्ण जानकारी को जानते हैं-

History of Kashi

काशी का नाम काशी इसलिए है क्योंकि इसे शिवजी ने स्वयं अपने त्रिशूल पर धारण किया है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भी विश्व में कोई भी संकट आता है तो शिवजी काशी को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं तथा आपदा टल जाने के बाद इसे पुनः अपने स्थान पर स्थापित कर देते हैं। गंगा तट पर बसी काशी बड़ी पुरानी नगरी है। इस वाराणसी तथा बनारस के नाम से भी जाना जाता है। यह विश्व का सबसे प्राचीन नगर है। वाराणसी का मूल नगर काशी था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना हिन्दू भगवान शिव ने लगभग 5000 वर्ष पूर्व की थी, जिस कारण ये आज एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है तथा पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता की काशी को शिव जी ने अपने त्रिशूल पर धारण किए हैं। ये हिन्दुओं की पवित्र सप्तपुरियों में से एक है। स्कन्द पुराण, रामायण एवं महाभारत सहित प्राचीनतम ऋग्वेद में नगर का उल्लेख आता है।

सामान्यतः वाराणसी शहर ( History Of Kashi) को कम से कम 3000 वर्ष प्राचीन तो माना ही जाता है। नगर मलमल और रेशमी कपड़ों, इत्रों, हाथी दाँत और शिल्प कला के लिये व्यापारिक एवं औद्योगिक केन्द्र रहा है। गौतम बुद्ध जन्म के काल में, वाराणसी काशी राज्य की राजधानी हुआ करता था । प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने नगर को धार्मिक, शैक्षणिक एवं कलात्मक गतिविधियों का केन्द्र बताया है और इसका विस्तार गंगा नदी के किनारे 5 कि०मी० तक लिखा है।

काशी (History of Kashi) का वर्णन वैदिक काल से ही चला आ रहा है। काशीनगर वैदिक काल में 16 महाजनपदों में से एक था। महाभारत में इसका उल्लेख है काशी से ही भीष्म पितामह अंबा, अंबिका तथा अंबालिका को हर कर ले गए थे। काशी के राजा उस काशी नरेश थे। रामायण में प्रभु श्री राम की माता कौशल्या देवी काशी की राजकुमारी थी। तथा अनेक प्रमाणों से यह ज्ञात होता है कि काशी बहुत ही पुरानी नगर है। बनारस अपने घाटों के लिए बहुत ही अधिक प्रसिद्ध है तथा यहां पर कुल 84 घाट हैं। प्रथम घाट मणिकर्णिका से लेकर वरना घाट तक है। यहां बाबा विश्वनाथ का दरबार है। काशी में ही विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय स्थापित है जिसे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है। जितनी बार भी बनारस के रहस्य को समझाने की कोशिश की गई है उतना ही और रहस्य सामने उभर कर आता है। बनारस के घाटों में सबसे प्रसिद्ध घाट मणिकर्णिका घाट, दशाश्वमेध घाट, ललिता घाट, अस्सी घाट, तुलसी घाट, हरिश्चंद्र घाट, तथा इत्यादि हैं। फिलहाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने एक नए घाट का निर्माण किया जिसका नाम नमो घाट है। दरअसल या इस घाट का नाम नरेंद्र मोदी जी के नाम पर है- नमो से नरेंद्र मोदी।

काशी की गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध गंगा आरतीओं में से एक है। हर शाम तथा सुबह दशाश्वमेध घाट तथा अस्सी घाट पर आरती होती है जहां पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। गंगा की आरती बहुत ही भव्य तरीके से की जाती है तथा यह आरती 45 मिनट तक चलती है। काशी में ही तुलसीदास जी ने अस्सी घाट के किनारे पर रामचरितमानस लिखा था तथा उन्होंने अपने अंतिम श्वास भी अस्सी घाट पर ली थी। तुलसीदास जी को हनुमान जी ने स्वप्न में दर्शन दिया था जिसकी वजह से बनारस में संकट मोचन मंदिर स्थापित है। यहां पर एक मानस मंदिर है जिसके पत्थरों पर रामचरितमानस पूरी लिखी गई है। इस मंदिर में श्री कृष्ण की समस्त लीलाओं का एक बहुत ही सुंदर दृश्य दिखाई देता है। यहां पर प्रत्येक वर्ष दिवाली के बाद देव दिवाली मनाई जाती है जो कि देवता स्वयं काशी में आकर मनाते हैं। देव दिवाली के पीछे या पौराणिक कथा है कि जब त्रिपुरासुर राक्षस ने उत्पात मचाया था तो शिवजी ने उसे अपने त्रिशूल से मारा था जिसकी खुशी में देवताओं ने दीप जलाया था। त्रिपुरासुर को मार कर ही शिव जी का नाम त्रिपुरारी पड़ा था।

आखिर काशी के तीन नाम क्यों है? (Why does Kashi have three names?)

देश के सबसे प्रसिद्ध देव स्थलों में एक काशी,बनारस और वाराणसी एक में तो सबसे पहले में आपको बता दूं भले ही काशी,बनारस और वाराणसी तीन नाम है लेकिन यह तीनों एक ही स्थल का नाम है।तो सबसे पहले हम नामांकरण के बारे में ही आपकों बताते हैं कि आखिर क्यों है काशी के तीन नाम काशी बनारस और वाराणसी…

आखिर क्यों है काशी के तीन नाम काशी बनारस और वाराणसी…

वाराणसी इसलिए है क्योंकि इसका एक दायरा वरूणा नदी से और दूसरा असि नदी तक है।

बनारस इसलिए है क्योंकि यहां भक्ति, संगीत और श्रद्धा का रस हमेशा बना रहता है।

काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) के बाहर शिवरात्रि पर 3 कि.मी लम्बी लम्बी कतार और मंदिर परिसर के अंदर लगभग 2 कि.मी की दूरी तय करने के बाद ही काशी विश्वनाथ का दर्शन होता है। महाशिवरात्रि पर 10-12 लाख लोग यहां दर्शन करने आते हैं।शाम होते होते शिवबारात निकलती है सड़कों पर शिव भक्त नृत्य करते हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर के बाहर शिवरात्रि पर 3 कि.मी लम्बी लम्बी कतार और मंदिर परिसर के अंदर लगभग 2 कि.मी की दूरी तय करने के बाद ही काशी विश्वनाथ का दर्शन होता है। महाशिवरात्रि पर 10-12 लाख लोग यहां दर्शन करने आते हैं।शाम होते होते शिवबारात निकलती है सड़कों पर शिव भक्त नृत्य करते करते जहां तहां से बरात में शामिल होते रहते हैं।

ये भी पढ़ें:-

Top 5 Best Market For Shopping In Banaras | बनारस में खरीदारी के लिए शीर्ष 5 सर्वश्रेष्ठ बाज़ार

Banaras Hindu University (BHU) की संपूर्ण जानकारी तथा बीएचयू में पढ़ने के फायदे…

999+ Top Banaras Shayari Quotes Status | बनारस शायरी स्टैट्स

Which Ghat Is Famous For Ganga Aarti In Banaras:- बनारस में गंगा आरती के लिए कौन सा घाट प्रसिद्ध है और इसका समय?

99+ Banaras Love Shayari In Hindi | बनारस इश्क़ शायरी

Share
Kanchan Verma

Kanchan Verma is the Author & Founder of the https://frontbharat.com She is pursuing graduation from Banaras (UP) . She is passionate about Blogging & Digital Marketing.

Recent Posts

100+ Interesting GK Questions – ऐसा क्या है जो हमेशा आता है लेकिन पहुंचता कभी नहीं ?

Interesting GK Questions – ऐसा क्या है जो हमेशा आता है लेकिन पहुंचता कभी नहीं…

5 months ago

महादेव मेरी Mohabbat का ध्यान रखना

महादेव मेरी Mohabbat का ध्यान रखना क्योंकिउससे अपना ख्याल नहीं रखा जाता और मैं उससे…

8 months ago

Ghats of Banaras:- बनारस के 88 घाटों के नाम

Ghats of Banaras:- वाराणसी में घाट नदी के किनारे कदम हैं जो गंगा नदी के…

9 months ago

Culture and food of Banaras :- बनारस की संस्कृति और यहां का खान पान

Culture and food of Banaras:- वाराणसी, भारत की धार्मिक राजधानी जिसे "बनारस" या "बनारस" या…

9 months ago