Kashi Ratneshwar Mahadev Temple:- इस ब्लॉग पोस्ट में हम जानेंगे बनारस के सबसे और अनोखा अद्भुत मंदिर काशी रत्नेश्वर महादेव के रहस्य में। जो अपने आप में सैकड़ों रहस्य छिपा रखा है और अनेकों इतिहास समेटे हुए है।
बनारस या वाराणसी जिसे महादेव की नगरी कहा जाता है। यह नगरी भारत में उत्तर प्रदेश राज्य में है। यह अनेक रहस्य से भरा हुआ है जहां सावन में यहां पर कांवरियों का बोलबम गूंजता है और दूसरी और पूरे साल भर मणिकर्णिका घाट पर लासे जलती रहती है। पौराणिक कथा के अनुसार काशी स्वयं महादेव की त्रिशूल पर टिकी हुई है।
अपने अनेकों रहस्यों के लिए काशी दुनिया को हमेशा हैरान करता आया है। इन्हीं रास्तों में से एक रहस्य है काशी के रत्नेश्वर महादेव का जोकि 6 महीने तक हमेशा गंगा जी में डूबा रहता है तो आइए इसके पीछे की कहानी विस्तार से जानते है।
इस मंदिर का निर्माण का वास्तविक समय अभी तक पता नहीं चल पाया है। काशी विश्वनाथ और मणिकर्णिका घाट के पास दत्तात्रेय घाट पर स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर रत्नेश्वर महादेव तीन सौ सालों से अधिक का इतिहास समेटे हुए हैं। स्थानीय लोगों और काशी के पंडितों की मानें तो यह मंदिर श्रापित होने के कारण ना ही कोई भक्त यहां पूजा करता और ना ही मंदिर में विराजमान भगवान शिव को जल चढ़ाता है। आसपास के लोगों का कहना है की यदि मंदिर में पूजा की तो घर में अनिष्ट होना शुरू हो जाता है
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धता सनातन हिन्दू धर्म |
देवता शिव |
त्यौहार महाशिवरात्रि |
अवस्थित जानकारी
अवस्थी मणिकर्णिका घाट |
जिला वाराणसी |
राज्य उत्तर प्रदेश |
देश भारत |
भौगोलिक निर्देशांक 25°18′43″ N83°00′58″E/ 25.3119°183.016032 |
वास्तु विवरण
निर्माण पूर्ण आंकड़ों के अनुसार 19वीं शती, स्थानीय मान्यता अनुसार प्राचीन |
अवस्थी 21 मी. (82 फीट) |
काशी रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Kashi Ratneshwar Mahadev Temple) 9 डिग्री पर झुका हुआ है और सालों से यह गंगा जी के जल में डूबा हुआ है। इस मंदिर के निर्माण का ठीक ही थी तो नहीं पता है परंतु पुजारियों का मानना है कि 5000 साल पहले राजा मान सिंह के एक नौकर ने अपनी मां रत्नाबाई के लिए रत्नेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण करवाया था।
ऐसा कहा जाता है कि जब नौकर ने मंदिर को अपनी माता रत्नाबाई का नाम दिया तो उसने अपनी मां से कहा कि अब मैंने अपना मातृ ऋण चुका दिया है। यह सुनते ही भगवान ने उस नौकर का घमंड तोड़ने के लिए उस मंदिर को झुका दिया और उसको यह संदेश दिया कि मातृ ॠण से कोई कभी भी मुक्त नहीं हो सकता है।
इस मंदिर में तब से लेकर आज तक कोई भी व्यक्ति या पुजारी पूजा अर्चना नहीं करते है। इस मंदिर पर बहुत ही सुंदर कलाकारी की गई है तथा ने प्रकार की मूर्तियों का डिज़ाइन दिया गया है। इस मंदिर में ज्यादातर पर्यटक आकर विश्राम करते हैं और यहां पर काफी सुकून मिलता है।
एक बार काशी रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Kashi Ratneshwar Mahadev Temple) के ऊपर आकाशीय बिजली गिरी थी जिसकी वजह से मंदिर का कुछ भाग को नुकसान पहुंचा परंतु उस समय उस मंदिर के अंदर कुछ पर्यटक मौजूद थे। उन सारे पर्यटकों को एक खरोंच तक नहीं आई।
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