10 Best place To Visit In Varanasi : वाराणसी हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल में से एक है। यह उत्तर प्रदेश राज्य का सबसे फेमस जिला है। वाराणसी जिला गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। यहां पर लाखों की संख्या में देश के लोग तो आते ही हैं। इसके अलावा विदेश से भी लोग भारत की संस्कृति को देखने के लिए आते हैं।
बनारस को वाराणसी तथा काशी के नाम से भी जानते हैं। काशी के बारे में कहा जाता है कि यह नगरी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है। यहां पर शिवजी के कई मंदिर बने हुए हैं लेकिन यहां का प्रसिद्ध मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर है। काशी में कुल 84 घाट बने हुए हैं। इसके पास में ही सारनाथ स्तंभ बना हुआ है।
बनारस मंदिरों के लिए तो जाना ही जाता है इसके अलावा यहां के लोग खाने-पीने के बहुत ही ज्यादा शौकीन है।
प्रिय पाठकों आज के इस लेख में हम आपको बनारस वाराणसी या फिर काशी के बारे में बताएंगे कि यहां कौन-कौन सी जगह हैं।जो बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है जहां पर पर्यटक घूमने के लिए अवश्य जाएं। वाराणसी का प्रसिद्ध भोजन क्या है? वाराणसी में कहां पर रुके? वाराणसी घूमने कब जाए? वाराणसी कैसे पहुंचे? इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस लेख में जानने को मिलेगा इसके लिए आप यह लेख अंत तक पढ़ और एक बार अपने जीवन में वाराणसी घूमने आवश्यक आएं।
जैसा कि आपको पहले ही बताया जा चुका है कि बनारस में आपको देखने के लिए कई सारे मंदिर मिल जाएंगे। लेकिन इसके अलावा और भी कई मंदिर है जो काफी फेमस है। इन्हीं मंदिर में से एक है। तुलसी मानस मंदिर वाराणसी का यह मंदिर करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
तुलसी मानस मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है। सन 1964 में इस मंदिर को कोलकाता के प्रसिद्ध व्यापारी ने बनवाया था।मंदिर के प्रत्येक खंबे पर रामचरितमानस लिखा हुआ है। यह मंदिर 2 मंजिल का बना है। जिसमें राम सीता लक्ष्मण हनुमान शिव और अन्नपूर्णा माता की प्रतिमा स्थापित है।वहीं दूसरी मंजिल पर संत तुलसीदास जी की मूर्ति लगी हुई है।
इस मंदिर को तुलसी मानस मंदिर इसलिए कहा जाता है। यहां पर तुलसीदास जी ने रामायण की रचना की थी। तुलसी मानस मंदिर प्रत्येक सुबह 5:30 बजे से लेकर दोपहर 12:00 बजे तक खुलता है। इसके बाद दोबारा 3:00 बजे से लेकर रात्रि 9:00 बजे मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं।
इस मंदिर को भारत माता मंदिर के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि इसमें आपको भारत से संबंधित सभी जानकारी यहां मिल जाएगी। भारत माता मंदिर काशी विद्यापीठ में ही है। इसका निर्माण शिव प्रसाद गुप्ता और उद्घाटन महात्मा गांधी जी ने किया था। मंदिर के अंदर जाने पर आपको भारत के संपूर्ण संस्कृति जानने को मिलेगी।
माता दुर्गा का यह मंदिर रामनगर जो कि वाराणसी शहर के अंतर्गत आता है। मंदिर के अंदर माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में बंगाल की एक महारानी ने करवाया था। मंदिर को बनाने के लिए लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग किया गया है। माता दुर्गा के अलावा मंदिर में मां काली, मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और भैरवनाथ आदि की भी प्रतिमा स्थापित है।
दुर्गा माता मंदिर में भक्तों का आना जाना लगा रहता है। माता के मंदिर में सबसे अधिक भीड़ नवरात्रि के समय होती है। इस दौरान भक्तों की काफी भीड़ मां के दर्शन करने के लिए आते हैं। सावन के महीने में दुर्गा माता मंदिर में एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला पूरे 1 माह तक चलता है बनारस घूमने आने पर माता के मंदिर में जाना न भुले।
यहां के पंडित के अनुसार एक बार तुलसीदास जी यहां पर लेटे हुए थे तुलसीदास को पहली बार हनुमान जी का स्वप्न यहीं पर आया था। इसके बाद उन्होंने इस जगह पर हनुमान जी की मूर्ति को स्थापित किया।
इसके बाद मंदिर संकट मचन मंदिर के नाम से मशहूर हो गया। जो भी भक्त इस मंदिर के दर्शन कर लेता है उसके सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं। आप इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जरूर जाए।
यदि आप बनारस घूमने आए और काशी मंदिर ना घूमे तो आपका बनारस घूमने आना बेकार हो जाएगा। बनारस आने वाले सभी लोग सबसे पहले बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए जाते हैं। काशी हिंदू मंदिर हिंदुओं का प्रसिद्ध मंदिर है। मंदिर के अंदर भगवान शिव की बड़ी प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है।
भक्त पवित्र गंगा में स्नान करने के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं। भक्तों का मानना है कि गंगा में स्नान करने के बाद शिव के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।मंदिर में यदि आप दर्शन करना चाहते हैं तो आपको सुबह ही लाइन लगानी होगी। तभी आपको काशी बाबा के दर्शन प्राप्त हो पाएंगे काशी विश्वनाथ मंदिर सुबह 4:00 बजे खुलता है।
बनारस की घाट सबसे पवित्र घाट में से एक है। इस घाट की सबसे खास बात यह है कि इसके चारों तरफ मंदिर ही मंदिर बने हुए हैं। इस घाट के चारों तरफ चिताय जलती रहती हैं। मणिकर्णिका घाट पर कभी भी अग्नि शांत नहीं होती है। जो भी भक्त मणिकर्णिका घाट पर जाते हैं उनको एक अलग सा ही सुकून मिलता है।
काशी आने वाले बहुत से लोग ऐसा सोचते हैं कि उनका चिंतामणि का घाट पर जले। ऐसा इसलिए क्योंकि बहुत से लोगों का मानना है कि इस घाट में अंतिम संस्कार होने से व्यक्ति को सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
बनारस में कुल 84 घाट बने हुए हैं इन 84 घाटों में सबसे प्रमुख अस्सी घाट है। अस्सी घाट की उत्पत्ति गंगा और अस्सी घाट के संगम से हुई है। अस्सी घाट के किनारे कई सारे मंदिर बने हुए हैं।यहीं पर बाबा जगन्नाथ का भी मंदिर है।
प्रत्येक वर्ष इस जगह पर मेले का आयोजन किया जाता है।बनारस घूमने आने पर आप अस्सी घाट जरूर जाएं। यहां पर शाम के समय गंगा आरती की जाती है। इस आरती में शामिल होने के लिए भक्तों की काफी भीड़ लगी रहती है।
धार्मिक सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से यह काशी के सर्वाधिक प्रसिद्ध घाटों में अग्रणी है पुराणों में इस घाट का नाम रूद्रसर मिलता है। भ्रम्हा द्वारा दशाश्वमेध यज्ञ करने के बाद से इसका नाम दशाश्वमेध हुआ।
प्रतिदिन और विशेष अवसरों पर गंगा स्नान करने वालों की संख्या सबसे अधिक इसी घाट पर होती है। भक्तों की श्रद्धा है कि हम इसी घाट पर स्नान करके ही बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने जाए। इस घाट पर भव्य गंगा आरती प्रतिदिन शाम 6:00 बजे से 7:00 बजे तक की जाती है जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बिंदु है।
किला बनारस का सबसे प्राचीन किले में से एक है इसके लिए की दूरी रेलवे स्टेशन से करीब 14 किलोमीटर की है रामनगर किले का निर्माण वर्ष 1750 में किया गया था जो कि काशी के राजा बलवंत सिंह ने करवाया था इसकी लेके महाराज आज के समय में अनंत नारायण जी हैं।
किले के निर्माण के लिए इसमें चुनार बालों का इस्तेमाल किया गया है। रामनगर किले के अंदर जाने के लिए चार गेट हैं। किले का मुख्य दरवाजा लाल रंग से भर रंगा हुआ है। वही किले में करीब 1000 से अधिक कमरे इसमें बने हुए हैं।
रामनगर किले को देखने के लिए आपको सुबह 10:00 बजे जाना होगा किले के बंद होने का समय 5:00 बजे है किले में प्रवेश करने के लिए आपको ₹15 की टिकट लेनी होगी जिसकी वजह से आप अनेक प्रकार की वस्तुएं देख पाएंगे पौराणिक वस्तुएं ऐतिहासिक वस्तुएं तथा अन्य प्रकार के घोड़ा गाड़ी हथिया वस्त्र राजाओं के आभूषण सब देखने को मिलेंगे।
बनारस के मंदिर जितने प्रसिद्ध है उससे कहीं अधिक यहां के भोजन हैं।यहां के भोजन बहुत ही स्वादिष्ट और मजेदार हैं।बनारस के लोग सुबह की शुरुआत पूरी सब्जी के द्वारा करते हैं। पूरी सब्जी के अलावा आप यहां की गरम जलेबी लोंग लता आदि प्रकार के भोजन खा सकते हैं। लॉन्ग लता को बहुत ही यूनिक तरीके से बनाया जाता है। जो एक बार लॉन्ग लता को खा लेता है वह इसको दोबारा खाने के लिए जरूर आता है।
महादेव की नगरी होने के कारण यहां की ठंडाई टमाटर चाट बनारस लस्सी भी बहुत फेमस है। इसके बाद बारी आती है विश्व प्रसिद्ध बनारसी पान की बनारस आए और यहां के फेमस पान को खाए नहीं तो फिर क्या बनारस आए। पान भी कई प्रकार के होते हैं लेकिन सबसे अधिक लोग गुलकंद वाले पान को खाना पसंद करते हैं। गाना है ना- “खाई के पान बनारस वाला खुल जाए बंद अकल का ताला”
हम बनारसी हैं गुरु हम पर महादेव का साया है हमारे लिए महादेव ही सब कुछ है बाकी सब मोह माया है।।
।।पार्वती पतये हर हर महादेव।।
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बनारस घूमने जाने का सबसे अच्छा समय ना अधिक गर्मी और ना अधिक सर्दी यानी आप वाराणसी घूमने अक्टूबर से लेकर मार्च के महीने के बीच में कभी भी जा सकते हैं इस दौरान यहां का मौसम अच्छा रहता है।
बनारस जाने के लिए आप बनारस के किसी भी रेलवे स्टेशन पर जा सकते हैं यहां पर 3:00 स्टेशन है जो कि वाराणसी जंक्शन बनारस रेलवे स्टेशन मांडावोड है। या फिर आप सड़क मार्ग से वाराणसी आ सकते हैं बस द्वारा यदि आप बनारस जाना चाहते हैं तो इसके लिए आप किसी भी साधारण या डीलक्स बस के द्वारा आप बनारस पहुंच सकते हैं।
कितना लिखूं बनारस के बारे में जितना भी लिखूं सब कम ही पड़ जाता है।
– कंचन वर्मा
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