देश के अबतक के सबसे चर्चित मुद्दों में अयोध्या विवाद का पूरा इतिहास और इसका समाधान कैसे हुआ इस विषय पर हम आपके साथ जानकारी को साझा करेंगे। सबसे पहले हम आपकों अयोध्या के बारे में बताते हैं।
अयोध्या जिसे साकेत और रामनगरी भी कहा जाता है। भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक और घार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नगर है। यह पवित्र सरयू नदी के तट पर बसा हुआ है और अयोध्या जिले का मुख्यालय है। इतिहास में इसे ‘कोशल जनपद’ भी कहा जाता था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या में सूर्यवंशी / रघुवंशी / अर्कवंशी राजाओं का राज हुआ करता था।
यह नागरी प्रभु श्री राम की है जिनके पिता दशरथ तथा माता कौशल्या थी। सदियों से ही अयोध्या हिंदू धर्म का एक तीर्थ स्थल है। यहीं पर सरयू नदी में ही श्रीराम ने अपना देह त्यागा था। प्रभु श्री राम की जन्मभूमि पर मुगलों के आक्रमणों की वजह से कई वर्षों तक प्रभु राम की पूजा नहीं हो सकी।
देश | भारत🇮🇳 |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
जिला | अयोध्या जिला |
क्षेत्रफल | 120.8 किमी 2 (246.6 वर्गमील) |
ऊंचाई | 95 मी (305 फीट) |
जनसंख्या 2011 | 55,890 |
भसाए | हिंदी, अवधि |
समय मंडल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 224001,224123, 224133,224135 |
दुर्भासा कोड | +91-5278 |
वाहन पंजीकरण | UP-42 |
वेबसाइट | ayodhya.nic.in |
भारत का एक बड़ा मामला अयोध्या के राम मंदिर से जुड़ा था। सन 1528 में बाबर के सिपहसालार जो कि सेनापति था मीर बाकी ने अयोध्या में एक मस्जिद का निर्माण करवाया। हिंदुओं की मान्यता है कि यह मस्जिद अयोध्या में एक राम मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी तथा हिंदुओं ने सन 1890 से ही राम मंदिर के लिए अदालतों में फरियाद आरंभ कर दिए थे।
दशकों तक अदालत में यह मामला लटकता रहा और इस भवन पर सरकारी ताला लगा रहा तथा विश्व हिंदू परिषद ने ताला खोलने की मांग की। 2 फरवरी सन 1986 को फैजाबाद के जिला न्यायाधीश के आदेश से ताला खोला गया तथा नवंबर 1989 में विधिपूर्वक मंदिर का शिलायंस हुआ। उन दिनों केंद्र और उत्तर प्रदेश दोनों जगहों पर कांग्रेस की सरकार थी। जैसे ही वहां एक भव्य राम मदिर के निर्माण की घोषणा की गई उसके पश्चात ही मुसलमानों के रूढ़िवादी वर्ग ने उनका विरोध करना आरंभ कर दिया।
उनके द्वारा बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया गया तथा दूसरी और विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर के निर्माण के लिए संसाधन जुटाने आरंभ कर दिए थे। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा का कार्यक्रम बनया।
विश्व हिंदू परिषद में राम भक्तों का आवाहन किया वह राम मंदिर के निर्माण के लिए कार सेवा अर्पित करें। बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी मंदिर निर्माण का विरोध कर रही थी। पूरे देश में तनावपूर्ण स्थिति बन चुकी थी इसलिए जुलाई 1992 में उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण का कार्य स्थगित कर दिया जाए।
6 दिसंबर के दिन अयोध्या में 45 लाख कारसेवक जमा थे वह भक्ति भाव से ओतप्रोत थे तथा बाबरी ढांचे को वे अपने पूर्वजों की हार और अपमान का प्रतीक मानते थे। उनके धैर्य का बांध टूट चुका था देखते ही देखते वह ढांचा ध्वस्त हो गया। भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने बार-बार यह कहा कि वे नहीं चाहते कि बाबरी ढांचा गिराया जाए किंतु नेताओं के निवेदन और बार-बार की जा रही घोषणाओं का कोई प्रभाव नहीं पड़ा और अंततः बाबरी मस्जिद का ढांचा धारा सही हो गया। इस घटना के बाद देश के कुछ भागों विशेषकर मुंबई और गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई।
यह बहुत दुखद की बात है कि लाहा बाद उच्च न्यायालय में अयोध्या मामला बहुत लंबे समय तक लंबित रहा और उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुआ। तत्कालीन गृह मंत्री एसबी ने कहा- “बाबरी मस्जिद का ध्वंस कोई पूर्व नियोजित घटना नहीं थी।”
अयोध्या की घटना के निम्नलिखित परिणाम हुए-
30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया कि अयोध्या में रामलला का मंदिर होने का दावा सही है इसलिए गिराए गए ढांचे के बीच के गुंबद के नीचे का स्थान रामलला को दिया जाएगा तथा वहां पर एक भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा। साथ ही उस 2.77 एकड़ भूमि को तीन भागों में बांटने का आदेश दिया गया जिस पर विवादित ढांचा स्थित था। यह तीन भाग सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के प्रतिनिधियों को दिए जाने की बात कही गई।
9 मई 2011 को उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगा दी। उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि विवादित स्थल पर यथास्थिति बनी रहेगी अर्थात वहां पर राम मंदिर नहीं बनाई जाएगी। वर्तमान समय में बाबरी मस्जिद ढांचे में खड़ी है वह उसी ढांचे में खड़ी रहे।
सदियों से राम भक्तों की आंखों में एक ही आशा थी कि कब हमारे प्रभु के मंदिर की स्थापना होगी तथा कब वह अपने प्रभु का पूजन उस मंदिर में कर पाएंगे इसके लिए ना जाने कितने वीर हिंदुओं की लहू बही है। मंदिर निर्माण से पहले भक्त अपने प्रभु श्री राम की पूजा एक टेंट में किया करते थे परंतु धन्यवाद महापुरुष माननीय प्रधानमंत्री और आदित्यनाथ योगी जी का जिन्होंने राम भक्तों पर एक उपकार किया कि उनके मंदिर का निर्माण करवाना प्रारंभ कर दिया। आज हर भक्तों का मन उल्लास से भरा हुआ है और वह उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जिस दिन उनके प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा।
राम मंदिर के इतिहास में 5 अगस्त 2020 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। 1328 से लेकर 2020 तक यानी 492 साल के इतिहास में कई मोड़ आए। कुछ मील के पत्थर भी पार किए गए। खास तौर से 9 नवंबर 2019 का दिन जब 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने ऐतिहासिक फैसले को सुनाया। अयोध्या जमीन विवाद मामला देश के सबसे लंबे चलने वाले केस में से एक रहा। 5 अगस्त 2020 को ही माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर की नींव रखते हुए वहां पर भूमि पूजन किया। तथा यह दावा किया जाता है कि राम मंदिर 2023 के दिसंबर माह के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगा तथा इसका उद्घाटन 14 जनवरी 2024 को किया जाएगा।
अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण में 1800 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। मंदिर निर्माण के लिए गठित संस्था श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रविवार को यह जानकारी दी है. उच्चतम न्यायालय के आदेश पर राम मंदिर निर्माण के लिए गठित किए गए ट्रस्ट ने लंबी बैठक के बाद ट्रस्ट के नियम और कायदों को अनुमोदन दिया। हिंदू धर्म से जुड़ी महान विभूतियों की लगाई जाएंगी प्रतिमाएं। तथा प्रभु श्री राम की मूर्ति बनाने के लिए नेपाल से शालिग्राम का विशाल पत्थर भारत में आया है। जिस पत्थर से प्रभु श्री राम की भव्य मूर्ति तैयार की जाएगी।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि फैजाबाद सर्किट हाउस में आयोजित इस बैठक में ट्रस्ट के सदस्यों ने सर्वसम्मति से यह फैसला किया कि राम जन्मभूमि परिसर में हिंदू धर्म से जुड़ी महान विभूतियों और साधु-संतों की प्रतिमाओं को भी स्थान दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के आधार पर लगाए गए ट्रस्ट के अनुमान के मुताबिक राम मंदिर निर्माण पर 1800 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
अयोध्या में बन रहे प्रभु श्री राम लला के गर्भ गृह की दीवार तैयार हो रही है, रामलला यहीं विराजमान होंगे। यहां अब तक 400 पिंक स्टोन लग चुके हैं तथा राम मंदिर से बनने वाले प्रत्येक ईट पर प्रभु श्री राम का नाम लिखा गया है।
यह भारत का राष्ट्रीय मंदिर तथा भारत का सबसे बड़ा मंदिर होगा। जन्मभूमि परिसर में भव्य मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है और इसके दिसंबर 2025 तक बनकर तैयार हो जाने का अनुमान है मंदिर में जनवरी 2024 (मकर संक्रांति) तक भगवान राम लला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हो जाने की संभावना है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महंगाई पर कांग्रेस के विरोध-प्रदर्शन को अलग ही एंगल दे दिया। उन्होंने प्रदर्शन के लिए अगस्त का चुनाव करने को लेकर कांग्रेस पार्टी पर गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने इशारों में कहा कि कट्टरपंथी मुसलमानों को खुश करने के लिए कांग्रेस ने काले कपड़े पहने ताकि कांग्रेस राम मंदिर भूमि पूजन दिवस के खिलाफ दिखें।
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