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चुनाव की आवश्यकता क्यों? चुनाव व्यवस्था तथा चुनाव का तरीका क्या है?

चुनाव की आवश्यकता क्यों? :- लोकतंत्र का अर्थ है जनता का शासन। आजकल विश्व के अधिकांश देशों में लोकतंत्र शासन हैं। लेकिन जिन देशों में भी लोकतंत्र शासन उनका स्वरूप प्राचीन यूनान और रोम के नगर राज्यों से पूरी तरह भिन्न है। चुनाव लोकतंत्र का मूल आधार है। प्राचीन काल के नगर राज्य की जनसंख्या, क्षेत्रफल और आकार की दृष्टि से बहुत छोटे होते थे और इसलिए उस समय के लोकतांत्रिक प्रणाली में सभी नागरिक राज्य के कार्य व सीधे भागीदार बनते थे। आधुनिक युग में विज्ञान और तकनीकी बहुत अधिक उन्नति हो जाने से अब राज्यों का आकार, क्षेत्रफल और जनसंख्या बहुत अधिक बढ़ गई है। इसलिए समस्त मतदाता नागरिकों को राज्य के कार्यों में सीधी भागीदारी मिलना संभव नहीं है। इसलिए चुनाव प्रक्रिया अपनाई जाती है।

चुनाव की आवश्यकता क्यों

चुनाव की आवश्यकता क्यों?

लोकतंत्र में चुनावों के द्वारा जनता को अपना रुझान प्रकट करने का अवसर मिलता है। चुनाव जनता के रोगियों को परिष्कृत कर उन्हें प्रदर्शित करने का अवसर देते हैं। चुनावों से यह निर्णय किया जाता है कि सत्ता किसके हाथ में रहेगी। चुनाव सरकार के गठन में मदद करते हैं। इन चुनावों में लोग जातिगत, धर्म का क्षेत्रीय भेदभाव को भूलकर अपने राजनीतिक व आर्थिक रुझानों के आधार पर मत देते हैं।

चुनाव आवश्यक है क्योंकि उनके द्वारा मतदाता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं-

  • उन प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं जो चुनाव के माध्यम से सरकार का गठन करते हैं।
  • चुनाव उनके लिए होते हैं जो कानून बनाते हैं तथा जनता के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं।
  • वह पार्टी जिसकी नीतियां कानूनों की अनुपालना करवाती हैं।

भारत में लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व

भारतीय संविधान भारत को सच्चा लोकतंत्र बनाता है। यहां चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होते हैं। संविधान में कुछ ऐसे प्रावधान हैं जो स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव का आयोजन करते हैं।

चुनाव व्यवस्था

जनप्रतिनिधियों को चुनने के अनेक तरीके होते हैं। प्रत्येक देश में चुनाव संचालन की एक व्यवस्था होती है। इसकी नियमावली होती है जो यह बताती है कि चुनाव कैसे वकील तरीकों से होंगे, मतगणना कैसे होगी, निधि कैसे चुने जाएंगे।

सामान्यतः जिस प्रत्याशी को अधिक वोट मिलते हैं उसे ही विजय माना जाता है लेकिन चुनाव के और तरीके भी हो सकते हैं। लोकतांत्रिक चुनावों में जनता वोट करती है और उसकी रुचि के आधार पर ही यह निर्णय किया जाता है कि कौन विजई है लेकिन लोगों द्वारा अपनी पसंद व्यक्त करने के अनेक तरीके होते हैं तथा उनकी गणना करने की विधियां भी अनेक प्रकार की होती हैं।

यह भी नियम चुनाव के परिणामों में पर्याप्त भिन्नता ला देते हैं। कुछ नहीं हम बड़ी पार्टियों को फायदा पहुंचाते हैं जबकि कुछ छोटी पार्टियों को मदद करते हैं। कुछ नहीं हम बहुत संख्यक ओं को लाभ पहुंचाते हैं तथा अन्य अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करते हैं।

भारत में प्रचलित चुनाव का तरीका

साधारण बहुमत प्रतिनिधित्व प्रणाली

साधारण बहुमत प्रतिनिधित्व प्रणाली आफ फर्स्ट पास्ट द पोस्ट प्रणाली आमतौर पर प्रति चुनावों में 1 सदस्य निर्वाचन क्षेत्र में प्रयोग की जाती है। इस प्रणाली में एक चुनाव क्षेत्र से खड़े सभी उम्मीदवारों में जो उम्मीदवार सबसे अधिक मत प्राप्त करता है चाहे वह कुल मौतों के पचास परसेंट से कम ही क्यों ना हो उसे विजई घोषित कर दिया जाता है।

इस विधि को ‘ जो सबसे आगे वही जीते ‘ प्रणाली कहते है। इस विधि को बहुलवादी व्यवस्था भी कहते हैं। हमारे संविधान में इसे स्वीकृति प्रदान की गई है।

भारत में इस विधि के अंतर्गत निम्नलिखित बातों का अपनाया गया है-

  1. संपूर्ण देश को 543 निर्वाचन क्षेत्र में बांट दिया गया है।
  2. प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
  3. इस निर्वाचन क्षेत्र से जिस प्रत्याशी को सर्वाधिक वोट प्राप्त होते हैं उसे निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है।
  4. इस व्यवस्था में जिस प्रत्याशी को अन्य प्रत्याशियों से अधिक वोट प्राप्त होते हैं वही विजई होता है चाहे उसे कुल मतों का बहुमत मिले या नहीं।

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लोकसभा चुनाव 2019

लोकसभा चुनाव 2019 के परिणामों में जहां भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला है वहीं कांग्रेस को करारा झटका लगा है। मोदी की सुनामी में बहने वाली कांग्रेस अकेली पार्टी नहीं है। इस बार के लोकसभा चुनावों में 670 क्षेत्रीय और छोटे राजनीतिक दल ऐसे रहे जो मोदी लहर में एक भी सीट नहीं जीत सके।

चुनाव परिणामों के विश्लेषण से पता चलता है कि देश के 530 राजनीतिक दल ऐसे भी हैं जिनका वोट शेयर इस बार के चुनाव में जीरो रहा। चुनाव आयोग के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार लोकसभा चुनाव 2019 में कुल 13 दर ऐसे थे जो सिर्फ एक सीट जीतकर लोकसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रहे।

और गहरा भगवा रंग

जनता जनार्दन है। तभी तो देश की सियासी तस्वीर कैसे एक पल में बदल जाती है। इस बार मतदाताओं ने भाजपा की नीतियों और नीतियों से प्रभावित होकर उसे सिर आंखों पर बैठाया। कई रिकॉर्ड टूटे और कई नए बने। सन 1971 के बाद पहली बार किसी पार्टी को लगातार दूसरी बार बहुमत मिला है। भाजपा का यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। पिछली बार उसे 282 सीट मिली थी। इस बार पार्टी 300 आंकड़ा पार कर रही है। देश की सियासी तस्वीर का भगवा रंग और गहरा है।

  • 2019 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने कई मायनों में इतिहास रच दिया है। नरेंद्र मोदी पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने हैं जिन्होंने 5 साल का पहला कार्यकाल पूरा करके दोबारा सत्ता में वापसी की।
  • 1984 में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस के बाद 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा पहले पार्टी बनी जैसे लोकसभा में बहुमत मिला। 1974 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के बहुमत से दोबारा सत्ता में आने के बाद भाजपा पहले पार्टी बनी जिसने लगातार दूसरी बार खुद के बूते सत्ता में वापसी की।
  • गुजरात, हरियाणा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, दिल्ली, उड़ीसा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में 2014 के मुकाबले भाजपा की वोट हिस्सेदारी में वृद्धि हुई करीब 1 दर्जन बड़े राज्यों में पार्टी को 50 फ़ीसदी से अधिक वोट मिले।

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Kanchan Verma

Kanchan Verma is the Author & Founder of the https://frontbharat.com She is pursuing graduation from Banaras (UP) . She is passionate about Blogging & Digital Marketing.

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