Nyaypalika Kya Hai Aur Uske Karya – न्यायपालिका जहां न्यायिक स्वतंत्रता को बनाए रखने की जरूरत और कोई दो राय नहीं हो सकती…. वही हमारे लिए एक और महत्वपूर्ण सिद्धांत को याद रखना जरूरी है। स्वतंत्रता के सिद्धांत को उस स्तर तक नहीं ले जाया जाना चाहिए जहां वह आस्था का स्थान ले ले। अन्यथा न्यायपालिका विधायिका और कार्यपालिका के कामों को भी अपने हाथ में ले लेने वाले एक अतिवादी संस्था की तरह काम करने लगेगी। न्यायपालिका का काम संविधान की व्याख्या करना याद कारों के बारे में चल रहे विवादों को हल करना है।
देश के नागरिकों की सुरक्षा हेतु न्यायपालिका की स्वतंत्रता आवश्यक है। स्वतंत्र न्यायपालिका आधुनिक लोकतंत्र का आधार है। न्यायपालिका स्वतंत्रता पूर्व तथा प्रभावशाली ढंग से कार्य कर सके इसलिए ऐसा करना आवश्यक भी है।
” न्यायपालिका का संबंध कानूनों की व्याख्या से है। भारत का उच्चतम न्यायालय संविधान की व्याख्या और इसकी रक्षा करता है।” विभिन्न पक्षों के बीच विवादों को निपटाने तथा समाज के कमजोर वर्गों को अपेक्षाकृत शक्तिशाली वर्गों के दमन का शिकार बनने से बचाने के लिए न्यायपालिका राज्य का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है। इसके अतिरिक्त अदालतें विभिन्न अन्य कार्य भी संपन्न करती है। इन सभी दायित्वों का निर्वाह कानूनों के प्रावधानों के अनुसार किया जाता है जिसे हम ‘कानून का शासन’ कह सकते हैं।
भारत में न्यायपालिका के निम्नलिखित कार्य है –
1. | न्यायपालिका लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है। |
2. | न्यायपालिका अपराधियों को दंड देती है तथा निर्दोष व्यक्तियों की रक्षा करती है। |
3. | न्यायपालिका यह सुनिश्चित करती है कि नागरिकों के विरुद्ध जाति, मजहब या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। |
4. | नेपाली गाना केवल निजी समितियों के बीच विवादों का निपटान करती है बल्कि सरकार और व्यक्तियों के बीच विवादों का भी निपटान करती है। |
5. | भारत में उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय संविधान की व्याख्या करते हैं। |
न्यायपालिका के तीन अंग है –
2. उच्च न्यायालय
3. अधीनस्थ न्यायालय
भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत का सर्वोच्च निकाय है। यह न्यू दिल्ली में स्थापित है तथा इसके वर्तमान CJI धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ हैं। यह वह अदालत है जो निचली अदालतों द्वारा दी गई सजा को कम कर सकती है अथवा उसके निर्णय को बदल सकती है। उच्चतम न्यायालय अपील किए जाने के लिए अंतिम न्यायालय है। भारत के उच्च न्यायालय के किसी निर्णय का अंतिम आदेश के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में अपील की जा सकती है।
हर एक राज्य में एक उच्च न्यायालय स्थापित होता है। यह अधीनस्थ न्यायालय से ऊपर तथा उच्चतम न्यायालय से नीचे का न्यायालय होता है। राज्य में हुए किसी दंगे फसाद या किसी भी तरह के कानूनी मामलों का संरक्षण उच्च न्यायालय करता है। भारत में कुल 25 उच्च न्यायालय है। कानून के मुताबिक लोगों की मौलिक अधिकारों की रक्षा तथा संरक्षण प्रदान करता है।
इसे अधीनस्थ न्यायालय इसलिए कहते हैं क्योंकि उच्च न्यायालय के अधीन में कार्य करते हैं। यह जिला में कार्य करते हैं। प्रत्येक जिला का अपना एक अधीनस्थ न्यायालय होता है जहां पर व्यक्ति अपने विवादों को सुलझाता है। अधीनस्थ न्यायालय में ज्यादातर दीवानी मामले शामिल होते हैं।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता का यह अर्थ नहीं है कि फैसले स्वेच्छाचारी अब मनमाने ढंग से दिए जाएंगे। इसमें कोई संदेह नहीं कि न्यायपालिका संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य करेगी। अर्थात न्यायपालिका संविधान के तहत ही कोई फैसला लेगी। न्यायाधीश कानूनों की व्याख्या हमारे संविधान के बुनियादी ढांचे को ध्यान में रखकर करेंगे। लोकतंत्र धर्मनिरपेक्षता तथा संघवाद को हमारे संविधान के बुनियादी अवश्य विशेषताएं माना गया है।
अंततः न्यायपालिका ‘न्याय के आदर्शों’ और देश के लोकतांत्रिक परंपराओं’ से बंधी हुई है। अतः हमें से पता चलता है कि न्यायपालिका संविधान के प्रति जवाबदेह हैं।
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