इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको जानकारी देंगे कि आखिरकार श्री राम के बाद अयोध्या का क्या हुआ?,राम जी के बाद किसने शासन किया, श्री राम के वर्तमान वंशज कौन है और अब अयोध्या की वर्तमान स्थिति क्या है।
रामायण का अर्थ है- राम की यात्रा। भारत देश की वर्तमान पहचान भगवान श्री राम एवं श्री कृष्ण से है। त्रेता युग में भगवान श्री राम के जन्म से पहले भी भारतवर्ष में कई कथाएं प्रचलन में थी, बल्कि भारत में एक परंपरा है कि हर भगवान की कथा लिखी गई एवं उसका श्रद्धा पूर्वक वाचन किया जाता है। फिर क्या कारण है कि भगवान श्री राम की कहानी को श्री राम कथा के बजाय रामायण नाम दिया गया।
रामायण, वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य है जिसमें श्रीराम की गाथा है। इसे आदिकाव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को ‘आदिकवि’ भी कहा जाता है। संस्कृत साहित्य परम्परा में रामायण और महाभारत को इतिहास कहा गया है और दोनों सनातन संस्कृति के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय ग्रन्थ हैं। श्री तुलसीदास जी ने ‘ रामचरितमानस’ की रचना हिंदी भाषा में की है। इनके अलावा अन्य कवियों ने अलग अलग भाषा में रामायण लिखे हैं।
प्रिय पाठको आपने टीवी सीरियल्स तथा रामानंद जी की रामायण तो देखी हुई होगी जिसमें प्रभु श्री राम के जल समाधि ले लेने के बाद ही रामायण समाप्त हो जाती हैं। ज्यादातर लोग इतनी ही कथा की जानकारी रखते हैं। परंतु क्या कभी आपके मन में यह विचार आया है कि भगवान श्री राम के बाद अयोध्या का क्या हुआ होगा उनके पुत्र लव कुश का क्या हुआ होगा तथा सूर्यवंशियों का वंश आगे कैसे बड़ा होगा? तू प्रिय पाठ को आप सभी इस प्रश्न का उत्तर जानना चाहते हैं तो इसे पूरा पढ़ें –
रावण का अंत करने के बाद जब प्रभु श्री राम माता सीता को अयोध्या वापस ले आए तब माता सीता को यह नहीं पता था कि अभी उनके परीक्षाओं का अंत नहीं हुआ है। उनके सामने भी एक और परीक्षा खड़ी है। प्रभु श्री राम ने जब अपनी प्रजा के कहने के कारण माता सीता को त्याग दिया तब माता सीता वन में गए और वाल्मीकि जी के आश्रम में शरण ली। वही वाल्मीकि जी के आश्रम में ही माता सीता ने श्री राम प्रभु के पुत्र लव कुश को जन्म दिया।
माता सीता को त्यागने के बाद भी प्रभु श्री राम ने किसी दूसरी स्त्री से विवाह नहीं किया यह उनके प्रति उनका प्रेम ही था। माता सीता के अनुपस्थिति में जब प्रभु श्रीराम ने अश्वमेघ करना चाहा तो उसमें उन्होंने किसी अन्य रानी से विवाह करने के बजाय माता सीता के पुतले को साथ लेकर बैठे।
भगवान राम के अयोध्या छोड़ने के बाद कुछ अपनी सेना के साथ अयोध्या आए और वहां का शासन संभाला। कुछ नए कुमुदावती से विवाह किया और उनसे उनकी पुत्री हुई जिनका नाम अतिथि था। इसके बाद अतिथि के पुत्र हुए निषाद और निषाद के पुत्र हुए नल और नल के पुत्र हुए नाव इस तरह या वंशावली बढ़ते बढ़ते आ पहुंची महाभारत काल में राजा बल तक। इतिहास में बाल का उल्लेख राम के 50 में पीढ़ी के रूप में होता है। इन्होंने महाभारत के युद्ध में कौरवों के पक्ष से युद्ध भी लड़ा था। चक्रव्यूह युद्ध के बीच अभिमन्यु और बाल में घमासान युद्ध हुआ और अभिमन्यु के प्राण घातक तीर से बाल की मृत्यु हो गई।
आगे की कथा बांटने से पहले प्रिया पाठ को आपको यह बता दे की पुराणों में लक्ष्मण शत्रुघ्न और भारत के भी दो दो पुत्रों का वर्णन मिलता है। भरत के पुत्र का नाम था – तक्ष और पुष्कर। लक्ष्मण के पुत्र का नाम था – चित्रांगत और चंद्रकेतु। शत्रुघ्न के पुत्र का नाम था -सुबाहूं और शूरसेन।
जब राम जी ने भारत का राज्य अभिषेक करने को कहा तो भारत नहीं माने तब श्री राम ने दक्षिण कौशल प्रदेश में कुछ और उत्तर कौशल प्रदेश में लव का राज्य अभिषेक किया। भगवान राम के समय में भी कौशल राज्य उत्तर और दक्षिण में विभाजित था।
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार लव नी लव पूरी नामक नगर की स्थापना की थी। लवपुर को बाद में लौहपूरी नाम से जाना जाने लगा जो वर्तमान में पाकिस्तान में लाहौर ही है। यहां इस किले में लव का एक मंदिर भी बना हुआ है। दक्षिण पूर्व एशियाई देश लाव और थाई नगरी दोनो की लव के नाम पर रखी गई है। ऐसा माना जाता है कि इसके बाद लव के वंशज गुजरात चले गए। और मेवाड़ में आकर बस गए जहां पर इन्हों ने सिसोदिया वंश की स्थापना की। शायद यही कारण है कि मेवाड़ का राज्य प्रतीक सूर्य है और साथ ही यह सुनने में भी आता है कि लव से ही राघव राजपूत का जन्म हुआ।
दूसरी और कुछ नहीं कुशावती नगर की स्थापना की। जो छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले में है। कुश ने अपना राज्य पूरब की तरह भी फैलाया। ऐसा माना जाता है की थाईलैंड के राजा इसी राजवंश के वंशज है। शायद इन्हीं सभी कारणों से थाईलैंड के राजा को राम की उपाधि देने की प्रथा प्रचलित है। कुछ से ही कुशवाहा राजवंश चला। इसके अलावा मौर्य साम्राज्य की स्थापना भी उसके वंश से ही हुई। उसकी मृत्यु एक राक्षस से युद्ध करने के उपरांत हुई।
इन सबके अलावा ऐसा माना जाता है कि लव कुश में से कुश का वंश ही आगे बढ़ा। इसी कारण इतिहास में भी कुछ के वंशजों का ही वर्णन ज्यादा मिलता है। सूर्यवंश के राजाओं में से एक सिद्धार्थ भी थे जो आगे चलकर गौतम बुद्ध हुए। सूर्यवंश के अंतिम राजा के रूप में राजा सुमित को जाना जाता है। जिनको नंद वंश के संस्थापक पद्मानंद ने हराकर अयोध्या को कब्जे में ले लिया।
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महारानी पद्मा भगवान श्री राम के 380वीं पीढ़ी की वंशज हैं। इस शाही परिवार की संपत्ति लगभग 20 हजार करोड़ के आस पास है । जब माता सीता ने धरती में प्रवेश किया था और भगवान श्री राम के वैकुंठ लोक जाने के बाद लव और कुश ने अपने वंश को आगे बढ़ाया। लव के वंश का अभी कुछ खास पता नहीं चल पाया है। लेकिन जयपुर की महारानी पद्मा श्री राम के दूसरे पुत्र कुश के वंश से संबंध रखती हैं।
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