Indian History

भारत का संविधान।। Constitution of India

Constitution of India:- संविधान शब्द अंग्रेजी के कॉन्स्टिट्यूशन शब्द का हिंदी रूप है। नागरिक शास्त्र में कॉन्स्टिट्यूशन का अर्थ राज्य के शारीरिक ढांचे के गठन से है। संविधान के अंतर्गत वे नियम या कानून सम्मिलित होते हैं। जिनके द्वारा शासन के गठन एवं उनके ढांचे का निर्माण किया जाता है। शासन व नागरिकों के मध्य के संबंधों का निर्धारण किया जाता है।

Constitution of India उद्देशिका (Preamble)

                        प्रस्तावना  (उद्देशिका)
हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व- संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समास नागरिकों को:
              सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय,
              विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास धर्म और    
               उपासना की स्वतंत्रता,
               प्रतिष्ठा और अवसर की समता
               प्राप्त कराने के लिए,
               तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई. ( नीति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी संवत  दो हजार छ: विक्रमी) को एतत् द्वार इस संविधान को अंगीकृत अधिनियमित और आत्मर्पित करते हैं।

लोक कल्याण शब्द भारत के संविधान की उद्देशिका में नहीं है बल्कि यह राज्य के नीति निदेशक तत्व का भाग है।

Indian Constitution

संविधान निर्माण

कैबिनेट मिशन के अंतर्गत 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष चुना गया। जुलाई 1946 में भारत की संविधान सभा द्वारा संविधान का निर्माण किया गया। 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अंतिम रूप प्रदान किया। 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा द्वारा डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत का राष्ट्रपति घोषित किया गया।

लगा समय – 2 वर्ष 11 माह 18 दिन और लगभग 64 लाख रुपए खर्च हुए।

मूल संविधान में  395 अनुच्छेद तथा 8 अनुसूचियां हैं।

भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं

  • संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य।
  • लोक प्रभुता पर आधारित संविधान।
  • लिखित और सर्वाधिक व्यापक संविधान।
  • कठोर और लचीला संविधान।
  • संसदात्मक शासन व्यवस्था।
  • मूल अधिकार एवं मूल कर्तव्य।
  • वयस्क मताधिकार।
  • अल्पसंख्यक एंड पिछड़े वर्गों के कल्याण की विशेष व्यवस्था।
  • एकल नागरिकता।
  • संकटकालीन प्रावधान।
  • विश्व शांति का समर्थक।
  • स्वतंत्र न्यायपालिका तथा नीति निदेशक तत्व।
  • संसदीय प्रभुता और न्यायिक सर्वोच्चता में समन्वय।

नागरिकों के मूल अधिकार

भारतीय संविधान में नागरिकों के लिए कुल 6 मूल अधिकार हैं।

  1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18)
  2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)
  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
  5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32 से 35)

नागरिकों के मूल कर्तव्य

  • संविधान का पालन तथा उसके आदर्शों संस्थाओ और राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान।
  • भारत की संप्रभुता एकता और अखंडता की रक्षा।
  • देश की रक्षा तथा राष्ट्र की सेवा।
  • भारतीयों में समरसता और मातृत्व की भावना का विकास।
  • भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परंपरा की रक्षा।
  • सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा व हिंसा से दूर रहना।
  • माता-पिता या संरक्षक द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना।
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानववाद और ज्ञानार्जन का विकास
  • राष्ट्रीय आंदोलन के प्रेरक आदर्शों का पालन।
  • प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा सभी प्राणियों के प्रति दया का भाव रखना।
  • व्यक्तिगत तथा सामूहिक उत्कर्ष का प्रयास।
        भारतीय संविधान में कुल 11 मूल कर्तव्य है।

संविधान सभा के विदेशी स्रोत

भारतीय संविधान के प्रमुख विदेशी स्रोत निम्न प्रकार हैं-

संयुक्त राज्य अमेरिकाप्रस्तावना के शब्द, मूल अधिकार, स्वतंत्र न्यायपालिका, न्यायिक पुनरावलोकन, सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को पद से हटाए जाने की प्रक्रिया, राष्ट्रपति का महाभियोग, न्यायिक पुनरावलोकन प्रणाली, उपराष्ट्रपति का पद
ब्रिटेनविधि का शासन, संसदीय शासन प्रणाली, एकल नागरिकता, द्विसदनीय व्यवस्था विधि निर्माण, प्रक्रिया सर्वाधिक मत के आधार पर चुनाव का निर्णय, विधायिका में अध्यक्ष पद की भूमिका, संसदीय विशेषाधिकार
दक्षिण अफ्रीकासंविधान संशोधन की प्रक्रिया, राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन
कनाडासशक्त केंद्र के साथ संघीय व्यवस्था, केंद्र द्वारा राज्य में राज्यपाल की नियुक्ति, उच्चतम न्यायालय का परामर्शी न्याय निर्णय, संघात्मक विशेषताएं
ऑस्ट्रेलियासमवर्ती सूची, व्यापार वाणिज्य एवं समागम की स्वतंत्रता संबंधी प्रावधान, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक, प्रस्तावना की भाषा
आयरलैंडराज्य के नीति निदेशक तत्व, राष्ट्रपति की निर्वाचन पद्धति, राज्यसभा में सदस्यों का नामांकन
फ्रांस गणतंत्र व्यवस्था, स्वतंत्रता समानता और बंधुत्व का सिद्धांत
रूसमूल कर्तव्य, प्रस्तावना में सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय का आदर्श
जर्मनीआपातकाल के समय मूल अधिकारों का स्थगन
जापानविधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया
भारतीय संविधान में विधि निर्माण प्रक्रिया ब्रिटेन से जबकि विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया जापान से ली गई है।

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत

अभ्युथानम्धर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।

– जय श्री कृष्णा

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Kanchan Verma

Kanchan Verma is the Author & Founder of the https://frontbharat.com She is pursuing graduation from Banaras (UP) . She is passionate about Blogging & Digital Marketing.

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